शनिवार, 27 मई 2017

अतीत से हमारी बेरुखी का स्मारक है हमारे संग्राहलय ...

संग्रहालय का जिक्र होते ही जो पहली तस्वीर मेरे दिमाग पर उभरती है वो है पटना संग्रहालय में चट्टान हो चुके एक विशाल पेड़ की। हजारों साल पहले का एक पेड़ कैसे चट्टान में बदल गया होगा, दिमाग सोच-सोच कर ही कुलबुलाने लगा था। फिर इस जिज्ञासा पर शायद तभी लगाम लगी जब अपने कोर्स की किताब में कहीं पढ़ा कि कोयला भी एक चट्टान है। हिस्ट्री जब साइंस में घुसपैठ करने लगी तो दिमाग ने फौरी तौर पर राहत पायी। दीदारगंज की यक्षिणी की प्रतिमा भी देखी। देखा तो और भी बहुत कुछ, लेकिन जो दिमाग में बच पाया वो बस इन दोनों की याद ही है। .... वैसे शायद मोहनजोदड़ो में मिले टेराकोटा के बर्तनों को भी देखा था। मेरे बड़े भाई जब दरभंगा में पढ़ रहे थे तो वहां भी एक संग्रहालय में जाना हुआ । ऐतिहासिक महत्व की चीजें उपेक्षित हालत में बिखरी हुई के अंदाज में पड़ी थीं। खैर जब वर्तमान ही बिखरा ही पड़ा हो तो अतीत को वो क्या खाकर छोड़ेगा । मुझे तब तक पता नही था कि मेरे जिले समस्तीपुर में भी कोई संग्राहलय है। संग्राहलय शुरु से ही कुछ इलीट टाइप का मालूम होता था, यानि बड़े शहरी की चीज या चोंचला। वैसे कुछ सालों पहले गूगलिंग की तो पता चला कि अपने जिले में भी एक म्यूजियम यानि संग्राहलय है।

  वैसे इतिहास-वर्तमान-भविष्य तो हर चीज और जगह का होता है। लेकिन मेरे शहर दलसिंहसराय का इतिहास भी कोई कम पुराना और रोचक नही। किवदंतियों की माने तो लाक्षागृह में दुर्योधन की साजिशों को चमका देकर पांडवों ने सुरंग की राह पकड़ी तो सीधे अब के दलसिंहसराय शहर से कुछ ही किलोमीटर दूर पांड में निकले।... और वो राक्षस बकासुर इधर ही कहीं लोगों को परेशान करता था , जिसे भीम ने अपनी बलिष्ठ भुजाओं की चपेट में ले लिया। गाहे-बेगाहे इस इलाके से पुरातात्विक खुदायी की खबरें भी आती रहती हैं। हालांकि भीम की गदा या अर्जुन का धनुष जैसी कोई चीज तो नही मिली है लेकिन नियोलिथिक युग से लेकर बाद के गुप्त-कुषाण काल के अवशेष जरुर मिले है। मन के किसी कोने में एक उम्मीद अभी भी बैठी हुई है कि भविष्य में इस अतीत को वर्तमान अपनी जगह देगा और शायद दलसिंहसराय या समस्तीपुर या खुदाई की जगह के आस-पास कोई बढ़िया संग्रहालय बने।

  खैर म्यूजियम की याद अचानक से इसलिए आ गयी कि कुछ दिनों पहले कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क चरखा म्यूजियम देखने गया। छोटा सा लेकिन काफी खूबसूरत। परिसर में अंदर जाते ही महात्मा गांधी की प्रतिमा और परिसर में ही स्टेनलेस स्टील से बना एक विशाल चरखा और तीन चिर-परिचित बंदर। एक आंखों को बंद किए, एक मुंह को और एक कानों को। बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो। म्यूजियम भवन के अंदर इतिहास की एक छोटी सी शाखा प्रवाहित हो रही थी । आजादी का आंदोलन , गांधी जी औऱ चरखा... लोग वहां इतिहास से दो चार होते दिखे। भारत सरकार ने लोगों से पुराने चरखे म्यूजियम के लिए डोनेट करने को कहा थे और लोगों द्वारा डोनेट किए भांति-भांति के पुराने चरखे इस म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं।

  जब भी जहां भी मौका मिलता है म्यूजियम घूमने की कोशिश जरुर करता हूं, भले ही कुछ देर के लिए सही। ... लेकिन यह काफी अखरता है कि जब आप म्यूजियम में इक्का-दुक्का लोगों को ही पाते हैं। लोगों की बेरुखी तो देखने को मिलती ही है , अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि म्यूजियम का प्रबंधन भी सही स्तर का नहीं होता है। अभी साल भर पहले ही मंडी हाउस के नजदीक नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री आग की चपेट में आ गया।
चरखा म्यूजियम

चरखा म्यूजियम

 वैसे म्यूजियम का जिक्र आता है और यदि आप दिल्ली में है तो अक्सर हमारे जेहन नेशनल म्यूजियम ही तैरता दिखता है, लेकिन एक बार गिनती शुरु की जाय तो दोनों हाथों की अंगुलियां कम पड़ने लगती है। ...मंडी हाउस में मेरे कार्यालय दूरदर्शन भवन को अगर केंद्र माने तो इससे तीन-चार किलोमीटर की परिधि में कितने म्यूजियम होंगें... आपको क्या लगता है ? नेशनल म्यूजियम तो खैर है ही लेकिन इतने सारे म्यूजियम होंगें, मैनै सोचा भी न था। दूरदर्शन भवन के ठीक सामने म्यूजियम ऑफ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंटस है। नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री और चरखा म्यूजियम का जिक्र तो पहले ही कर चुका हुं। दूरदर्शन भवन के बगल में भगवान दास रोड पर बढ़ें तो फिर सुप्रीम कोर्ट म्यूजियम की तख्ती टंगी मिलेगी। अगर मंडी हाउस से पटेल चौक मेट्रो पर जाएं तो वहां मेट्रो म्यूजियम की सैर कर सकते हैं। यदि दूरदर्शन भवन के पास भगवान दास रोड पर न जाकर अगले कट पर आगे बढ़ जाए तो आईटीओ पर आपको शंकर डॉल्स म्यूजियम जा सकते हैं। पटेल चौक मेट्रो स्टेशन से कुछ ही दूरी पर फिलाटेली म्यूजियम की और इशारा करता ट्रेफिक वालों का बोर्ड नजर आएगा। सुप्रीम कोर्ट से थोड़ा आगे प्रगति मैदान के पास नेशनल हैंडीक्राफ्टस एंड हैंडलूम्स म्यूजियम है। वैसे दिल्ली में कितने म्यूजियम है इसकी सही-सही जानकारी चाहते है तो फिर आपको गूगल बाबा की शरण लेगी। नेशनल रेलवे म्यूजियम, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम, गांधी स्मृति , इंडियन एयर फोर्स म्यूजियम, संस्कृति केंद्र टेराकोटा एंड मेटल म्यूजियम, पुराना किला म्यूजियम, नेशनल पुलिस म्यूजियम, नेशनल चिल्ड्रंस म्यूजियम, इंडिया वार मेमोरियल म्यूजियम, नेशनल एग्रीकल्चरल साइंस म्यूजियम, इलेक्शन म्यूजियम, गालिब म्यूजियम और भी न जाने कितने म्यूजियम है दिल्ली में । और हां दिल्ली में सुलभ इंटरनेशनल म्यूजियम ऑफ ट्वायलेट्स भी है।

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